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Ghar Ka Chiraag (1989)

  • Release Date1989
  • GenreDrama
  • FormatColor
  • LanguageHindi
  • Run Time155 mins
  • Length4258.36 metres
  • Number of Reels17
  • Gauge35mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number12937
  • Certificate Date19/12/1989
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...जब जब इन्सान किस्मत की हंसी उड़ाता है! किस्मत उस पर हंसती है, और कभी-कभी चेहरे पर ऐसा जोरदार चान्टा मारती है, कि ज़िन्दगी सौ टूकड़े होकर बिखर जाती है, कुमार साहब भी कहा करते थे "किस्मत इन्सान के मूठ्ठी में नहीं, उसके बाजूओं में छूपी होती है, मजबूत बाजूओं की मेहन्त, दिमाग की तदबीर, तकदीर का मुंह फेर सकती है," लेकिन कुमार साहब की तकदीर ने अपनी पहली ही करवट ली, और उन की सारी खूशियां ने उन से मूंह फेर लिया, उनकी प्यारी पत्नी और होने वाले बच्चे को एक पल में ही किस्मत ने उनसे हमेशा-हमेशा के लिए छीन लिया, और कुमार साहब दिल में दर्द का तूफान, और आंखों में आँसू का समुंदर लिए रूठ स्व संकूत और शांति की खोज में दूर निकल गए!

एक ऐसी जगह जहां कुदरत के सारे हसीन नज़ारे थे, ज़गह ज़गह ठंडे पानी के झरने, फूलों से लदे रास्ते, आसमान को छूते बर्फ के सफेद-सफेद पहाड़, और दो जवान धड़कते दिल, रवि और किरन, दोनों ने पहली ही नजर में एक दूसरे को अपना दिल दे दिया था, उन्हें साथ देखकर यूँ महसूस होता था जैसे वो दोनों एक दूसरे के लिए ही बने है, दोनों एक दूसरे को पाकर इतना खूश थे जैसे कूदरत ने उन पर अपने खज़ाने की बारीश कर दी हो, दोनों घंटो साथ घूमते रहते थे, बैठे बातें करते रहते थे। ईश्क और खूशबू छूपाने से नहीं छूपते, किरन के ईश्क का भी पता उसके पापा को लग गया, दुनिया बेटी के बाप पर हंसने की आदी है, इसलिए वो घबरा गए. और रवि को बम्बई में फोन करके अपनी मम्मी डैडी को अपने ईश्क की दास्तान सूनानी पड़ी, दोनों बहुत खुश हुए, और वो फोरन शादी करवाने के लिए राज़ी हो गए.

...घरवालों की तरफ से इज़ाज़त मिलने के बाद रवि और किरन ईश्क में पूरी तरह डूब गए, और जज्बात मं आकर उन्होंने वो दिवार भी गिरा दी, जो शादी से पहले नहीं गिराई जाती, मगर दोनों के मन में कोई पाप नहीं था, और फिर रवि के टर्मस् हिमालयन-कार रॅली से वापस आते ही दोनों की शादी होने वाली थी, मगर किस्मत को कुछ और मन्जूर था, रवि गया, मगर वापस नहीं आया. आई उसकी मौत की खबर, किरन के मुंह से एक ज़ोरदार चिख निकली, आसमान उसके सर पर टूट पड़ा. ज़मीन उसके पैरों तले से निकल गई, वो रो पड़ी "नहीं ऐसा नहीं हो सकता, ऐसा नहीं हो सकता" मगर ऐसा हो चुका था और जो नहीं होना चाहिए था वो भी हो चुका था, किरन रवि के बच्चे की मां बनने वाली थी, किरन के पापा को जब पता चला तो उन्हें सांप सूंघ गया. जमाने के तानो से बचने का और घर की इज्ज़त बचाने का बस अब एक ही रास्ता था, "खुदखुशी-"

...मगर किरन की किस्मत में अभी मरना नहीं, जीना लिखा था, किरन की जिन्दगी के सामने कुमार साहब दिवार बन कर खड़े हो गए, और इस दिवार को गिरा कर मौत को गले लगाना किरन के लिए ना-मुंकिन हो गया, उन्होंने खुदखुशी के ईलावा एक और रास्ता बनाया, और वो रास्ता था उनसे शादी, बच्चे की जिन्दगी बचाने के लिए किरन मान गई और कुमार साहब ने उसके माथे पर लगने वाले कलंक को सिन्दूर से छूपा दिया, और जब उस बच्चे ने दूनिया में कदम रखा तो वो कुमार साहब का बेटा कहलाया, बेटा पाकर उनको लगा कि आखिर किस्मत को उन पर तरस आ ही गया, वो आखिर उन पर मेहरबान हो ही गई, उनके अन्धेरे में खुशियों का चिराग जल गया, और अपने बेटे सूरज के साथ हंसते-खेलते जिन्दगी के पांच साल कैसे गुजर गए, उन्हें पता भी नहीं चला।

...मगर तकदीर ने अभी अपना खेल बन्द नहीं किया था, पांच साल बाद दोबारा कार रैली शुरू हुई, और उसमें हिस्सा लेने आया, रवि, हां रवि मरा नहीं था, बच गया था, वो रवि जो आज तक किरन को भूला नहीं पाया था, वो रवि, जिसने आज तक शादी नहीं की थी, वो रवि जिसने आज तक किरन की यादों को अपने सीने से लगा रखा था, वो दोबारा शहर में आ चुका था. और ईतीफाक से उसका सबसे गेहरा सबसे अच्छा दोस्त बन गया था, सूरज, सूरज को देखते ही रवि उसकी तरफ खिंचने लगा, मगर वो जानता नहीं था, कि ये खिंचाव इसलिए है कि सूरज की रगो में उसका खून है, और सूरज की वजह से एक दिन रवि की मूलाकात हो गई किरन से, रवि और किरन अब एक दूसरे के सामने आए तो वक्त जैसा रुक गया, किरन के लिए रवि मर चुका था. और रवि के लिए किरन, मगर दोनों जिन्दा थे, और आज पांच साल बाद एक दूसरे के सामने खड़े थे, और यहां से शुरू हुई गलत फेहमीयाँ की एक लम्बी दास्तान, ठंडे पानी के मनों में आग लग गई, फूलो से लदे रास्तो पर कांटे बिछ गए, आरमान को छूने बर्फ के ठंडे पहाड़ पिगल गए! क्योंकि बर्फ से ढके उस ठंडे शहर में तीन बदकिस्मत इन्सानो के दिलो में आग भड़क चुकी थी, जिस आग में तिनो की खुशीयां जलकर राख हो गई थी और उस आग की लपेटो के बीच आ गया था, पांच साल का एक मासूम बच्चा, सूरज!

-क्या रवि पर इस असलीयत का राज़ खूल गया कि सूरज उसका बेटा है?
-क्या किरन ने अपने पयार को पाने के लिए, कुमार साहब का दिया हुआ मंगलसूत्र तोड़ दिया?
-क्या कुमार साहब ने खून के आन्सू रोने के बाद, खून बहाने के लिए पिस्तोल हाथों में उठा लिया?
-सूरज का क्या होगा, वो कुमार साहब को मिलेगा, या रवि को?

ऐसे अनगिनत सवालों का जवाब है "घर का चिराग".

(From the official press booklet)

Cast

Crew

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